चंद के ये रहस्य देख कर चौक जाएंगे आप । mystery of the moon

mystery of the moon
Moon

दोस्तों आज दुनियाभर के कई देश अंतरिक्ष में कई मिशंस लांच कर चुके हैं। और अपने देश का झंडा गाड़ कर फतह हासिल कर चुके हैं। लेकिन आज भी जब अंतरिक्ष की बात होती है। तो सबसे पहले जुबान पर चांद पर कदम रखने वाले पहले आदमी नील आर्मस्ट्रांग का नाम ही आता है। हम सब यह तो जानते ही हैं। कि 16 जुलाई 1969 नासा के द्वारा लांच किए गए। अपोलो 11 ने सफलता प्राप्त कर के अंतरीक्ष में जीत हासिल की थी।

लेकिन हम में से शायद बहुत कम लोग यह जानते हैं। कि चांद पर वह ऐतिहासिक कदम रखने का सफर एक बेहद उबड़-खाबड़ रास्तों से भरा हुआ था। आज की हमारे लेख में आप जानेंगे। कि आखिर उन अंतरीक्ष यात्रियों के साथ ऐसा क्या हुआ था। आज भी हम में से कई लोग अनजान है। आज की ऐ लेख बहुत ही इंटरेस्टिंग होने वाली है। तो इस वीडियो को अंत तक जरूर देखना 20 जुलाई 1969 का वो दीन था। जब इंसान ने चांद पर अपना पहला कदम रख के इतिहास पर अपना नाम बनाया था।

और भविष्य में अंतरिक्ष तक पहुंच की संभावनाओं के दरवाजे खोल दिए थे। नासा द्वारा लांच किया गया । अपोलो 11 21 घंटे 31 मिनट तक चांद की सतह पर रहा। और 24 जुलाई 1969 को वापस धरती पर लौट आया। हम में से ज्यादातर लोग सिर्फ इसी कहानी को जानते हैं।

दोस्तों जैसा कि हमने कहा कि चांद पर गए 3 एस्ट्रोनॉट्स नील आर्मस्ट्रांग एडविन एल्ड्रिन और माइकल के साथ कुछ ऐसा हुआ था। जिसके बारे में बहुत कम लोग जानते हैं। इससे के बारे में जाने से पहले आइए घड़ी की सुई के पीछे करते हैं। और चलते हैं। 16 जुलाई 1969 इसवी के नासा के ऑफिस में जहां सभी की धड़कन बड़ी हुई है।

क्योंकि कुछ ही समय में अपोलो इलेवन पृथ्वी को छोड़कर अंतरिक्ष में जाने वाला था अंतरिक्ष में जाने वाले तीनों एस्ट्रोनॉट की धड़कन ए भी थमी हुई थी। जैसा कि आप में से कई लोग जानते भी होंगे। कि माइकल कॉलिंग बतौर पायलट अपोलो इलेवन में मौजूद थे। वहीं नील आर्मस्ट्रांग और उनके साथ गए विज्ञानिक चांद की सतह पर उतरे थे। आखिरकार अपोलो इलेवन को moon सबकी देखरेख में लंच किया गया।

तीनों एस्ट्रोनॉट की अंतरिक्ष यात्रा शुरू हो गई महज 4 दिनों बाद यह चांद के सतह के बिल्कुल करीब पहुंच चुका था। जिस मॉडल से नील आर्मस्ट्रांग अपने अंतरिक्ष ध्यान से निकल के चांद की सतह पर पहुंचे उससे ईगल नाम दिया। गया था। जब सबको लग ही रहा था। कि सब कुछ प्लान के मुताबिक चल रहा है। तभी तीनों एस्ट्रोनॉट के सामने यह बत आई की कोई अज्ञात कारण की वजह से ईगल निर्धारित समय से 4 सेकंड आगे चल रहा था।

इसका मतलब यह था। कि अब ईगल निर्धारित स्पोर्ट्स की वजह कहीं और है। लैंड करने वाला था। जिसका परिणाम घातक भी हो सकता था। आप ही सोचिए हम तो किसी अनजान जगह पर कहीं गुम हो जाए तो भी पैनिक हो जाते हैं। तो फिर यह तो चांद पर उतरने की बात थी। वे चाहकर के भी अब धरती से किसी भी प्रकार की मदद नहीं ले सकते थे। अब अंतरिक्ष यान और चांद की दूरी महज कुछ ही किलोमीटर की बची थी।

अभी तो इन तीनों एस्ट्रोनॉट के डर के मारे पसीने छूट ही रहे थे। की तभी अचानक एक और मुसीबत में दस्तक दे दी। दरअसल अपोलो इलेवन गाइडेंस कंप्यूटर जो कि बहुत ही ज्यादा महत्वपूर्ण था। उस में अचानक एरर आने लगा। अब यह एरर क्या था क्या थी। इसकी जानकारी किसी को भी नहीं थी। ऐसे में नील आर्मस्ट्रांग ने तुरंत इसकी जानकारी धरती पर दी।

लेकिन उन्हें कहा गया की वे एरर को नजरअंदाज करके अपने मिशन में आगे बढ़ें। हालांकि बाद में यह बात सामने आई कि ओवरलोड हो जाने के कारण कंप्यूटर इस एरर को शो कर रहा था। एक और यह एरर कोड और दूसरी तरफ कुछ ही मिनटों में चांद पर लैंडिंग। ऐसे में नील आर्म्सट्रांग ने शांत दिमाग और भरोसे को अपने ऊपर जमाए रख कर कंट्रोल को अपने हाथ में लिया।

और ऐसी जगह स्पेसक्राफ्ट को लैंड करवाएं। जिससे सभी की जान बच सके। 20 जुलाई को 8:17 पर सही सलामत ईगल की चांद पर लैंडिंग हो गई। यह लैंडिंग जहां पर हुई वहां पर नील आर्मस्ट्रांग ने इस जगह को बेस का नाम दिया। यहां से उतर कर पहला कदम नील ने चांद पर रखा था। और अमेरिका का झंडा बड़े ही गर्व से फहराया था। अगर यह सुनकर आप सोच रहे हैं।

कि चलो यह मिशन तो पूरा हो गया। अब सब कुछ अच्छा ही होगा तो आप गलत है। उन्हें भी ऐसा लग ही रहा था। कि अब मुसीबतें खत्म हो चुकी है। और अब सफलता पूर्वक वो अपनी धरती की यात्रा शुरू करेंगे। कि तभी कुछ ऐसी चीजें हुई जिसके बारे में जानकर आपके रोंगटे खड़े हो जाएंगे ।
झंडा फहरा कर जैसे ही वह मोड़ क्यों उनके सामने कुछ ऐसा हुआ जिससे उनको लगा। कि अब वे धरती पर वापस नहीं आ सकते वे चांद पर ही फंस चुके हैं।

दरअसल चांद पर कौन ग्रेविटी के कारण लैंडिंग के समय अंतरिक्ष यान के फ्यूल पाइप का प्रेशर जरूरत से ज्यादा बढ़ चुका था। जिससे फ्यूल अब बर्फ का रूप ले रहे थे। नासा भी अपने एस्ट्रोनॉट को इस सिचुएशन का मोआईना देने ही वाला था। की यह सिचुएशन और बिगड़े उससे पहले वह लोग स्पेसक्राफ्ट से नीचे उतर जाए।

क्योंकि यह प्रेशर इतना बढ़ चुका था। कि स्पेसक्राफ्ट कभी भी ब्लास्ट हो सकता था। अब जरा कल्पना कीजिए। कि अगर ऐसा होता तो धरती पर आना इनके लिए असंभव हो जाता। और यह चांद पर ही अपनी आखिरी सांसे लेते। लेकिन ढाई घंटे चांद पर घूमने के बाद इसे भगवान का चमत्कार कहिए। या फिर कुछ और अंतरिक्ष यान के पाइप का प्रेशर कम होने लगा था।

और बर्फ भी पिघलनी शुरू हो गई थी। जिससे सभी के सांसो में सांस आई। तभी एक और मुसीबत इन के सामने खड़ी हो गई थी। स्पेसक्राफ्ट के दाहिने और लगा हुआ एक स्विच टूट के नीचे गिर गया था। जिसकी वजह से शॉर्ट सर्किट होने लगा था। और उस हिस्से की पावर कट हो चुकी थी। ढूंढने के बाद ऑल रीन के हाथ स्विच तो आ चुकी थी। लेकिन उसे ठीक करना एक बड़ा काम था। फिर भी कैसे-कैसे करके सारी मुसीबतों को हमारे इन बहादुर एस्ट्रोनॉट उन्हें अपने ऊपर झेला।

और इस दुनिया में इस दुनिया के लिए। अंतरिक्ष के रास्ते को सहज दिखाया। वह अपने साथ बहुत सारी जानकारियों को लेकर आए। जिससे हम अंतरिक्ष की दुनिया को समझने में काफी ज्यादा मदद मिली। हमें भरोसा है। कि आपको अंतरिक्ष की इस अनसुनी कहानी मैं बहुत ही मजा आया होगा। हम मिलते हैं नए किसी लेख के साथ। तब तक के लिए धन्यवाद।

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